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एक बार की बात है जामपुर नामक गांव में भोला नाम का एक आदमी रहता था। वह खेती का कार्य करता था। उसके पास दो जोड़ी बैल थे। उनमें से एक का नाम कालू था और एक का बलू। बैलों की मदद से ही भोला खेत जोता करता था। भोला खुद तो बहुत मेहनती था लेकिन उन दो बैलों में से बलू नाम का बैल बहुत कामचोर था । उस एक के कामचोर होने से खेत की जूताई अच्छे से नहीं हो पाती थी। भला कालू अकेला बेचारा क्या करता, बलू कामचोर होने के कारण वह हल चलाते समय बिल्कुल भी मेहनत नहीं करता था सारा जोर कालू पर पड़ता था।
ज्यादा मेहनत करने से एक बार कालू बीमार हो गया। उस समय बारिश का मौसम भी था और खेत की जुताई भी करनी थी। कालू की स्थिति अभी तक ठीक नहीं हुई तो अब भोला ने बलू से ही खेत जोतने का निश्चय किया। अगले दिन भोला बलू को खेत ले गया और जूताई शुरू कर दी पर बलू बहुत कामचोर था वह जुताई सही से नहीं कर रहा था कल को सीधा चलाना था लेकिन वह बार-बार टेढ़ा-मेढ़ा घूम रहा था।
अब भोला ल जान गया की सारी मेहनत खेत में कालू ही करता था तभी वह इतना बीमार हो गया बलू तो बहुत कामचोर है। भोला अब बलू को सबक सिखाने के लिए एक तरकीब सोचता है। अब वह सुबह शाम दोनों टाइम कालू को अच्छा और ज्यादा चारा देता था और बलू को कम देने लगा। बलू पता चल गया की मालिक बहुत गुस्से में और चारा कम देने की वजह से बलू की भूख पुरी शांत नहीं हो पाती थी।
बल्लू अब जान दिया खेत में मेहनत बराबर करनी पड़ेगी नहीं तो रोज ही ऐसे आदा भूखा रहना पड़ेगा।अब जब कालू स्वस्थ हो गया तब दोनों बेलो को वापस खेत में लगाता हैं और दोनों बराबर खेत में मेहनत से जुताई करते हैं। भोला को अब पता चल गया कि बलू अब सुधर गया। अब भोला हमेशा बलू को भी अच्छा और बराबर चारा देने लगा। इस प्रकार भोला ने बलू को सबक सिखाया।
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